धरती

जिस धरती ने हमें संभाला
मां बन कर है हमको पाला
उसका ना तुम नाश करो
थोड़ा तो आभास करो

अपनी जिम्मेदारी पहचानो
धरती मां का कर्ज उतारो
रखो इसको स्वच्छ और सुंदर
इसको अपना घर तुम मानो

पेड़ प्रकृति का करो सम्मान
थोड़ा रुक कर करो विचार

क्या तुमने इसका हाल किया है
पशु पक्षियों का विनाश किया है
अपने भीतर भी तुम झांको
अपनी गलती को भी मानो

आओ मिल कर प्रण एक ले ले
प्रकृति से न अब हम खेले
मिल कर इसका रखे खयाल
तब ये धरती होगी स्वर्ग समान