क्या ढूंढते हो बाज़ारो में

क्या ढूंढते हो बाज़ारो में 
खुशियां मिलती नही दुकानों में
कुछ देर रुक कर सोचो तुम्हें क्या चाहिए
कब तक यूं भटकते रहोगे झूठे किरदारों में