भारत

कब चमकेगा भारत मेरा
कब होगा एक नया सवेरा
कुछ लोगो की हर रात दीपावली
बाकि सब का दिन भी अँधेरा
कब चक्मेगा भारत मेरा
कुछ लोगो पे धन वर्षा
कुछ कई लिए है खाली कटोरा

कब चमकेगा भारत मेरा
ब्रश्ताचार का खेल बयंकर
चाट रहा है दीमक बनकर
जिन लोगो ने पाई सत्ता
करती है वो देश का सौदा

कब चमकेगा भारत मेरा
अब तो जागो नींद से पागलो
लेकर सच की आग तुम दिल मे
दूर करो ये घना अन्धेरा
होगी तब एक नयी सुबह
होगा तब एक नया गगन
न होगा इसमें कोई भी राजा
न होगा इसमें कोई भी रंक
तब चमकेगा भारत मेरा

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