पहरेदार बनो – पहलगाम के बाद

 सो जाओ मत, ऐ भारत के वीरों,

पहलगाम की माटी पूछे, कहाँ हैं रणधीरों?

लहू से भीगी है देवों की घाटी,

करुण क्रंदन बन गई मातृभाषा की बाती।


पर ये समय नहीं है आँसू बहाने का,

ना हाथ मलने, ना पीछे हट जाने का।

यह शिव की भूमि है, यह काली का कंठ,

यहाँ हर कण में है शौर्य का मंत्र।


क्या अर्जुन ने युद्ध से मुँह मोड़ा था?

या गांडीव उठाकर अधर्म को तोड़ा था?

डरो मत, ओ जवानो, बढ़ो उसी चाल से,

धर्म की पुकार है, सच्चाई की मिसाल से।


छल से आए, अंधेरों में वार किया,

पर वीर कभी पीछे नहीं, प्रतिकार किया।

हम वो ज्वाला हैं जो अंधेरे जलाए,

हम वो गूँज हैं जो दुश्मन थर्राए।


हां, पहलगाम रोया, पर उसकी चुप चुप नहीं,

हर आँसू से निकलेगा एक दीपक कहीं।

केसर की खुशबू, अब तलवार बनेगी,

भारत माँ की हर संतति आग बनेगी।


तो उठो, ओ युवा, चिंगारी बन जाओ,

अपने हौसले से तूफान उठाओ।

भारत झुकेगा नहीं, थमेगा नहीं,

धर्म और जय के पथ से हटेगा नहीं।