आज़ादी के इस दिन पर

आज़ादी के इस दिन पर
मिलकर हम कुछ जंजीरे तोड़े
जात पात और धर्म प्रजाति 
मिलकर इनके बंधन तोड़े
कब तक बैठे सोचेंगे की 
देश का मेरे क्या होगा
अपने अपने कर्मो से हम
मिलकर इसकी धरा को जोड़े